केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व मजदूर संगठनों के आह्वान पर हुई आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल

पलवल
मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को रद्द करवाने, न्यूनतम वेतन 26 हजार लागू करवाने और श्रम कानूनों को लागू करवाने, पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कराने, 8वें वेतन आयोग के अंदर सेवा निवृत्त कर्मचारियों को शामिल कराने और केंद्र व राज्य सरकार के विभागों में पड़े खाली पदों को स्थाई भर्ती के द्वारा भरने आदि मांगों को लेकर लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों एवं मजदूर संगठनों के आह्वान पर आयोजित राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल विभिन्न विभागों के हजारों कर्मचारी व मजदूर तथा स्कीम वर्कर ने भाग लेकर प्रदर्शन करते हुए बाजार से जलूस निकाल कर बस स्टैंड पर समापन किया। सीआईटीयू के नेता रमेशचंद द्वारा संचालित कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला प्रधान उर्मिला रावत ने की।देवीलाल पार्क में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता मास्टर महेंद्रसिंह चौहान, उदयसिंह सरपंच, धर्मचंद, रिटायर्ड कर्मचारी संघ के नेता हरिचन्द वर्मा, मास्टर देवीराम ने शामिल होकर सरकार से मांगों के समाधान की मांग की।प्रदर्शन में शामिल किसान मजदूर व कर्मचारियों को संबोधित करते हुए सर्व कर्मचारी संघ के प्रधान राजेश शर्मा व सीआईटीयू की जिला प्रधान उर्मिला रावत ने कहा कि बीजेपी सरकार लगातार मजदूर कर्मचारी किसान विरोधी फैसले लेकर जनता में असंतोष पैदा कर रही है। भाजपा सरकार ने 5 साल पहले कारपोरेट-पूंजीपतियों के हित में मजदूर विरोधी चार लेबर कोड पारित किए थे, जिन्हे अब लागू करने जा रही है। लेबर कोड की आड़ लेकर कुछ भाजपा सरकारें काम के घंटों में बढ़ोतरी करने का षड्यंत्र रच रही हैं। लेबर कोड लागू होने पर देश के 70 प्रतिशत उद्यागों में मालिकों को ये अधिकार मिल जाएगा कि वे कभी भी मजदूरों को फैक्ट्री से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। लेबर कोड हायर एंड फायर यानी काम लो और बाहर करो वाली नीति है।इसमें न न्यूनतम वेतन है, न काम की समय सीमा तय है और न ही पक्का रोजगार का प्रबंध। केंद्र सरकार लगातार जन विरोधी एवं कोरपोरेट परस्त नीतियाँ लागू कर रही है।सरकारी विभागों को बेचा जा रहा है जिससे रोजगार का भारी संकट खड़ा हो गया है। भाजपा सरकार आम जनता की बुनियादी समस्याओं का समाधान करने की बजाय जनता को जाति-धर्म में बांटकर पूंजीपतियों के हितों को सुरक्षित कर रही है।केंद्र सरकार ने कल ही पूंजीपतियों को एक लाख 7 हजार करोड़ रुपए इस बात के लिए दे दिए कि ये पूँजीपति लोगों को रोजगार देंगे। यूनियन नेता महेंद्र सिंह चौहान व योगेश शर्मा ने कहा कि स्कीम वर्कर्स, सफाई कर्मचारी व अलग-अलग विभागों में काम करने वाले कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए तथा जब तक पक्के ना हों तब तक न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए दिया जाए। परियोजना वर्करों (आशा, मीड डे मील, आंगनवाड़ी एवं क्रैच वर्करों) को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। सभी को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी जाए, निकाले गए कर्मचारियों को डयूटी पर बहाल किया जाए।उन्होंने मांग की कि नई पेंशन योजना बंद करके पुरानी पेंशन बहाल की जाए तथा सभी विभागों में खाली पदों को पक्की भर्ती से भरा जाए। देश के किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य देने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए।यूनियन नेताओं ने बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी व बढ़ते अपराधों पर रोक लगाने की मांग भी की।
प्रदर्शन में यूनियन नेता जितेंद्र तेवतिया, राकेश तंवर, कृष्णा, जगबती डागर, सविता रावत, रामरती, गीता, सतपाल, अर्जुन, हरेंद्र देशवाल, मास्टर थानसिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।